Baimani Ki Parat

ISBN
9789350002674
Publisher
Vani Prakashan

Vani 1 Pulisher short

कहानी के साथ ही मैं शुरू से निबन्ध भी लिखता रहा हूँ और यह विधा अपनी प्रकृतिगत स्वच्छंदता तथा व्यापकता के कारण मुझे बहुत अनुकूल भी प्रतीत हुई है। इसकी सम्भावनाओं का कितना उपयोग कर पाया हूँ, यह दूसरी बात है । इतना जरूर जानता हूँ कि निबन्ध लिखते हुए मुझे सार्थकता और सन्तोष का अनुभव हुआ है। मुख्य रूप से मैंने कहानियाँ लिखी हैं; गो इसमें भी मतभेद है कि वे नये शास्त्रीय मान से कहानियाँ हैं भी या नहीं। बहुत बारीक समझ के कुछ लोगों ने कहा भी है कि वे ‘चीजें' मन पर असर तो डालती हैं, याद भी रहती हैं, गूँजती भी हैं - मगर उनके कहानी होने में शक होता है । होता होगा । यह निबन्ध-संग्रह पाठकों के हाथों में देते मुझे न संकोच है, न झिझक । इतने वर्षों में मैंने पाठक पर भरोसा किया है और उसने मुझ पर। एक खास तरह का पाठक ‘आलोचक’ कहलाता है। उसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता ।

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ISBN 9789350002674
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