Meel Ke Patthar

ISBN
9789350002131
Publisher
Vani Prakashan

Vani 1 Pulisher short

मील के पत्थर – पहली कहानी 'प्रायश्चित' से लेकर ग्यारहवीं कहानी 'आनन्द मरते नहीं' तक की कहानियों में हम 'निशंक' की कथा-दृष्टि को पहचान सकते हैं। भूमण्डलीकरण के इस भयावह दौर में रेत होते रिश्तों, जड़ होते समाज और महा बाज़ार में मनुष्य मात्र के अस्तित्व के क्षरण को वे बहुत बारीकी से देखते हैं तथा घटनाओं एवं चरित्रों के अन्तर्द्वन्द्वों, आशा-निराशाओं और वातावरण के घटकों में उतने ही उजले या धूसर रंगों से बुनते चले जाते हैं। एक सुकोमल कंट्रास्ट में। 'निशंक' की कहानियों का सहृदय पाठक इस सहज बुनावट वाली कहानियों को पढ़कर द्रवित हो उठता है। उनकी कहानियों के पाठक सहज ही उनके पात्रों के साथ जुड़ जाते हैं। यही कारण है कि उनकी कहानियों का प्रभाव इतना गहरा होता है कि जिस तरह कहानियों के पात्रों का मन परिवर्तित होता है, उसी तरह पाठकों का मन भी बदलने लगता है। अँधेरे के बीच उनकी कहानियों के पात्र दीपस्तम्भ की तरह प्रकाशित होते दिखाई देते हैं - अपने समर्पण और आदर्श की रोशनी से आवृत। मृत्यु का वरण कर नए जीवन का बीज रोपते-जैसे। आश्चर्य यही होता है कि अधिकांश कहानियों के प्रमुख पात्र अन्त में मृत्युगत हो जाते हैं; किन्तु अपनी मृत्यु को एक अर्थ दे जाते हैं। कहानीकार इस सार्थक मृत्यु को श्रद्धा के साथ सामने लाता है - समाज को दिशा देने के उद्देश्य से। जीवन-मूल्यों को बचाये रखने के लिए सम्भवतः यह उत्सर्ग आवश्यक लगता है। इसीलिए ये सब 'मील के पत्थर' हैं!

More Information

More Information
ISBN 9789350002131
All Right Reserved © 2024 vaniprakashan.com